gwalior me ghumne ki jagah > ग्वालियर मध्य प्रदेश का चौथा सबसे बड़ा शहर है और जनसंख्या के हिसाब से यह काफी बड़ा माना जाता है। यह शहर मध्य प्रदेश में होते हुए भी उत्तर प्रदेश के करीब स्थित है और दोनों राज्यों की सीमा पर बसा हुआ है। ग्वालियर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, और यहां एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी है जहां अंतरराष्ट्रीय मैच आयोजित होते हैं।
भोपाल से इसकी दूरी लगभग 122 किलोमीटर और दिल्ली से 250 किलोमीटर है। ग्वालियर में देखने लायक कई स्थान हैं, जैसे कि चतुर्भुज मंदिर और हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का इस शहर से संबंध होना। यह शहर राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है और इसका इतिहास काफी प्राचीन है। ग्वालियर की स्थापना आठवीं शताब्दी में राजा सूरज सेन ने की थी। वर्तमान में, श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के राजा कहे जाते हैं और वह अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य हैं।
1. तानसेन मकबरा (Tansen Makbara) – gwalior me ghumne ki jagah
तानसेन का मकबरा ग्वालियर में घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। तानसेन, जैसा कि आप जानते हैं, राजा अकबर के नौ रत्नों में से एक थे। 16वीं शताब्दी में अकबर ने तानसेन की याद में यह मकबरा बनवाया था। तानसेन एक महान संगीतकार थे, और कहा जाता है कि उनके संगीत से वह बारिश भी बुला सकते थे। यदि आप ग्वालियर जा रहे हैं, तो तानसेन का मकबरा जरूर देखना चाहिए। इस मकबरे को देखने का समय सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है और यहां प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
- अकबर के नवरत्नों में से एक, तानसेन की याद में बना यह मकबरा संगीत प्रेमियों के लिए खास है।
- यहां हर साल तानसेन संगीत समारोह का आयोजन होता है।
- सुंदर बाग-बगीचों के बीच यह मकबरा मन को शांति देता है।
यह स्थान सांस्कृतिक रूप से लक्षद्वीप की शांति जैसा अनुभव देता है।
2. मोती महल (Moti Mahal) – gwalior m ghumne ki jagah
मोती महल ग्वालियर, मध्य प्रदेश में घूमने के लिए एक शानदार स्थान है। इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में महाराजा जीवाजीराव सिंधिया द्वारा करवाया गया था। यह पहले मध्य भारत में सिंधिया राजवंश के सभागार के रूप में इस्तेमाल होता था। महल के मुख्य दरबार में एक बड़ा झूमर है, जिसका वजन लगभग 15 क्विंटल है और यह बेल्जियम के कांच से बना हुआ है। महल की दीवारों पर कई पुराने चित्र भी हैं, जो लगभग 200 साल पुराने माने जाते हैं, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पेंटिंग भी शामिल हैं।
मोती महल में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। यदि आप ग्वालियर जाते हैं, तो मोती महल जरूर देखने जाएं, यह एक खूबसूरत जगह है जहां जाकर आपको एक शानदार अनुभव मिलेगा।
- 19वीं शताब्दी में बना यह महल सुंदर बागों, झील और झूमरों से सुसज्जित है।
- यहां आज भी राज्य सरकार के कई कार्यालय हैं।
- महल के दरबार में बेल्जियम का कांच लगा हुआ है।
3. ग्वालियर का किला (Gwalior Fort) – ग्वालियर में घूमने की जगह
यदि आप ग्वालियर जाते हैं, तो ग्वालियर का किला घूमना जरूर चाहिए। यह किला काफी बड़ा है और कहा जाता है कि इसे छठवीं शताब्दी में राजपूतों ने बनवाया था। इसका नाम संत ग्वालपा के नाम पर पड़ा है। जब राजा को चर्म रोग से पीड़ित थे, तो संत ग्वालपा ने राजा को इस स्थान पर निवास करने की सलाह दी, जिसके बाद राजा स्वस्थ हो गए। इसके बाद तोमर, मुगल, मराठा और ब्रिटिश जैसे विभिन्न शासकों ने इस किले पर शासन किया। मध्ययुग में यह किला अपनी शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध था।
ग्वालियर किला घूमने के लिए आप सुबह 7:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक जा सकते हैं। किले में प्रवेश के लिए भारतीयों को 75 रुपए प्रति व्यक्ति और विदेशियों को 250 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क देना होता है। किले के अंदर आपको कई मंदिर देखने को मिलेंगे, साथ ही कई प्राचीन महल और ऐतिहासिक चित्रकला भी देखने को मिलेगी।
- छठी शताब्दी में बना यह किला ग्वालियर की पहचान है।
- विशाल दीवारें, प्राचीन मंदिर और प्रभावशाली वास्तुकला इसे खास बनाते हैं।
- अंदर मौजूद सास बहू मंदिर और गुजरी महल प्रमुख आकर्षण हैं।
- सुबह 7:00 से शाम 5:30 तक खुला रहता है।
इसकी भव्यता आपको जोधपुर के मेहरानगढ़ किले की याद दिला सकती है।
4. जय विलास पैलेस (Jai Vilas Palace) – gwalior mai ghumne ki jagah
जय विलास पैलेस ग्वालियर की एक बेहद खूबसूरत और देखने लायक जगह है। इसका निर्माण राजा जयाजीराव सिंधिया ने 1874 में सम्राट एडवर्ड की स्वागत के लिए करवाया था। यह महल तीन मंजिल ऊंचा है और इसमें अद्भुत कारीगरी देखने को मिलती है। वर्तमान में, जय विलास पैलेस का एक हिस्सा सिंधिया परिवार का निवास स्थान है, जबकि बाकी को एक म्यूजियम में बदल दिया गया है, जहां पर्यटक घूमने आते हैं।
महल के दरबार हॉल में एक विशाल झूमर टंगा हुआ है, जिसे पेरिस से मंगवाया गया था। यहां की दीवारों पर सोने की चित्रकारी, भारी पर्दे और फारसी कालीन भी देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, महल में पुरानी गाड़ियां, शाही बस, हथियार और कई ऐतिहासिक वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं।
यदि आप ग्वालियर आते हैं, तो आपको जय विलास पैलेस सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे के बीच देखना चाहिए, क्योंकि इसी समय यह खुला रहता है। बुधवार को यह बंद रहता है। प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए ₹100 है, जबकि विदेशियों के लिए ₹600 का टिकट है।
- 1874 में जयाजीराव सिंधिया द्वारा बनवाया गया।
- यहाँ विश्व का सबसे बड़ा झूमर लगा है जो 3500 किलो का है।
- महल का एक हिस्सा म्यूजियम के रूप में खुला है, जहां शाही वस्त्र, गाड़ियां और हथियार देखे जा सकते हैं।
- सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक (बुधवार बंद)।
5. गुजरी महल (Gujari Mahal) – gwalior mein ghumne ki jagah
गुजरी महल ग्वालियर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो घूमने के लिए बेहतरीन जगह है। इस महल का निर्माण 15वीं शताब्दी में राजा मानसिंह ने अपनी प्रिय रानी, मृगनयनी के लिए करवाया था। अब इसे पुरातत्व संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहां आपको हिंदू और जैन धर्म की मूर्तियां, साथ ही प्राचीन काल की कई कलाकृतियां देखने को मिलेंगी।
गुजरी महल जाने का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक है। यह महल शुक्रवार और अन्य अवकाश के दिनों में बंद रहता है। भारतीय नागरिकों के लिए टिकट ₹20 का है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए इसका शुल्क अधिक है। महल के अंदर घूमने की अनुमति है, लेकिन फोटोग्राफी की इजाजत नहीं है। यदि आप इतिहास, प्राचीन सभ्यता, या पुरातत्व में रुचि रखते हैं, तो यह महल आपकी यात्रा का एक खास हिस्सा होना चाहिए।
- राजा मानसिंह ने रानी मृगनयनी के लिए यह महल बनवाया।
- अब यह एक पुरातत्व संग्रहालय है जहां प्राचीन मूर्तियां और जैन प्रतिमाएं देखी जा सकती हैं।
- टिकट: ₹20 | समय: सुबह 10:00 – शाम 5:00 (शुक्रवार बंद)
6. ग्वालियर चिड़ियाघर (Gwalior Zoo) – gwalior mein ghumne layak jagah
ग्वालियर का चिड़ियाघर, जो मध्य प्रदेश के प्रमुख चिड़ियाघरों में से एक है, काफी प्रसिद्ध है। इसे 1922 में माधव दास सिंधिया पार्क के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन बाद में इसे चिड़ियाघर में बदल दिया गया। यह चिड़ियाघर काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, और यहां शेर, चीता, भालू, तेंदुआ, बाइसन, सफेद बाघ, रॉयल बंगाल टाइगर, बंदर और मगरमच्छ जैसे विभिन्न पशु-पक्षी देखे जा सकते हैं।
यहां प्रवेश के लिए भारतीय नागरिकों को ₹30 का टिकट देना होता है, जबकि विदेशी नागरिकों के लिए टिकट ₹100 है। यदि आप चिड़ियाघर के अंदर कैमरा ले जाना चाहते हैं, तो इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
- 1922 में स्थापित यह जू शेर, बाघ, चीता, मगरमच्छ और अन्य जीवों का घर है।
- प्रवेश शुल्क: ₹30 | कैमरा शुल्क अतिरिक्त
- यहाँ हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ है।
🛣️ कैसे पहुँचे ग्वालियर?
✈️ हवाई मार्ग:
ग्वालियर एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों से जुड़ा है।
🚆 रेल मार्ग:
ग्वालियर रेलवे स्टेशन एक प्रमुख जंक्शन है।
🚗 सड़क मार्ग:
भोपाल, आगरा, झांसी और दिल्ली से बस/कार के जरिए आसानी से पहुँचा जा सकता है।
🏨 ठहरने की सुविधाएं
- Taj Usha Kiran Palace
- Clarks Inn Suites
- Hotel Central Park
- बजट और लग्ज़री दोनों प्रकार के होटल उपलब्ध हैं।
📅 घूमने का सही समय
सीजन | अनुभव |
---|---|
अक्टूबर से मार्च | ठंडा और सैर के लिए सबसे उपयुक्त समय |
अप्रैल से जून | गर्मी अधिक, लेकिन सस्ते होटल उपलब्ध |
मानसून (जुलाई-सितंबर) | हरियाली से भरपूर लेकिन कभी-कभी बारिश हो सकती है |
❓FAQs – ग्वालियर ट्रैवल से जुड़े सामान्य सवाल
Q. ग्वालियर में क्या 2 दिन में घूम सकते हैं?
✅ हां, किला, जय विलास, गुजरी महल, तानसेन मकबरा दो दिनों में देखे जा सकते हैं।
Q. ग्वालियर किस चीज़ के लिए प्रसिद्ध है?
✅ किला, सिंधिया राजवंश, संगीत सम्राट तानसेन और शाही महलों के लिए।
Q. ग्वालियर जाने के लिए कौनसा मौसम बेस्ट है?
✅ अक्टूबर से मार्च तक का मौसम सबसे उपयुक्त है।
Q. ग्वालियर से कौनसी नजदीकी जगहें देख सकते हैं?
✅ विदिशा, लखनऊ, पांडिचेरी जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल निकट हैं।
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दोस्तों हमने हमारे इस आर्टिकल में आपको ग्वालियर मैं घूमने के लिए कोई बेहतरीन जगह के बारे में बताया है जहां जाकर आप ग्वालियर को और अच्छे से समझ पाएंगे और प्राचीन काल से जुड़ी हुई बहुत सारी चीजों को देख पाएंगे अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल अच्छा लगता है तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें कमेंट करके बताएं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद
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mohit Meena is a travel blogger and founder of freeindia.online, passionate about exploring hidden gems and sharing travel tips to help others plan memorable trips across India.