mahoba me ghumne ki jagah | महोबा में घूमने की जगह

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mahoba me ghumne ki jagah – महोबा, उत्तर प्रदेश राज्य के महोबा जिले में स्थित एक प्राचीन शहर है। यह शहर बहुत पुराना है और इसका नाम संस्कृत के शब्द “महोत्सव” से लिया गया है, जिसका मतलब होता है “बड़ा त्यौहार”। यह स्थान कई राजवंशों का केंद्र रहा है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण चंदेल शासक थे। चंदेलों ने महोबा को अपने शासनकाल में बहुत कुछ दिया और इसी कारण से महोबा काफी पॉपुलर हुआ । महोबा की पॉपुलरटी  में चंदेलों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

महोबा का इतिहास बेहद प्राचीन और गौरवशाली रहा है। 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच महोबा पर चंदेल वंश का शासन था, जिसने इस शहर को एक अलग पहचान दिलाई। चंदेलों के शासनकाल में महोबा काफी प्रसिद्ध हुआ, और इसी दौरान खजुराहो के मंदिरों का निर्माण भी हुआ। महोबा की प्रसिद्धि पृथ्वीराज चौहान और आल्हा-ऊदल की वीरता के कारण भी है। आल्हा-ऊदल की वीरता की कहानियां आज भी यहां के लोकगीतों में सुनाई देती हैं।

ऐसा कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान और चंदेलों के बीच महोबा में  एक भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें आल्हा और ऊदल ने काफीबीरता दिखाई था। इस युद्ध के बाद महोबा का इतिहास और गौरव लोककथाओं में जीवित रहा। हालांकि, बाद में चंदेलों की शक्ति कमज़ोर पड़ने के बाद, मुसलमानों ने महोबा पर कब्ज़ा कर लिया और इसे दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना दिया।

यह जगह किसी अंडमान या पांडिचेरी की तरह ही शांति और सौंदर्य से भरपूर है, बस फर्क इतना है कि यहां संस्कृति में वीरता की गाथाएं भी गूंजती हैं।

1. मदन सागर झील – mahoba me ghumne ki jagah

मदन महल झील का निर्माण चंदेल राजाओं द्वारा किया गया था, और इसका मुख्य उद्देश्य जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना था ताकि सिंचाई हो सके और किले, दीवारों, तथा मंदिरों को पानी मिल सके। इस झील का निर्माण चंदेल शासक मदन ने 1128 से 1165 ईस्वी के बीच करवाया था, और इसका नाम “मदन सागर” रखा गया। उस समय में यह झील जल प्रबंधन के लिए उपयोगी थी और बुंदेलखंड क्षेत्र में इसे एक महत्वपूर्ण झील माना जाता था।

बुंदेलखंड क्षेत्र में जलाशयों और बांधों के निर्माण में चंदेल शासकों का बड़ा योगदान रहा है। इस झील के किनारे कई प्राचीन मंदिर और किले हैं, जो इसे एक पॉपुलर प्लेस बनाते हैं। झील की शांति और आसपास के ऐतिहासिक स्थान टूरिस्ट को आकर्षित करते हैं। यहां आने वाले लोग झील की सुंदरता से काफी प्रभावित होते हैं। इसके आसपास हरियाली फैली हुई है, और झील का पानी भी साफ है। अगर आप महोबा जाते हैं, तो इस झील को देखने जरूर जाना चाहिए।

  • चंदेल शासक मदन वर्मा द्वारा 12वीं सदी में निर्मित।
  • झील का उपयोग जल आपूर्ति और किले-मंदिरों को पानी देने के लिए होता था।
  • किनारों पर प्राचीन मंदिर और स्थापत्य शिल्प के अवशेष हैं।
  • शांत वातावरण और हरियाली इसे एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट बनाती है।

झील की शांति लक्षद्वीप के नीले पानी की याद दिलाती है।

2. ककरमठ मंदिर – mahoba में घूमने की जगह

ककरमठ मंदिर महोबा में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिवरात्रि के अवसर पर हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच किया गया था। यह मंदिर महोबा के ककरमठ नामक गांव में स्थित है, और इसी गांव के नाम पर इसे ककरमठ मंदिर कहा जाता है।

चंदेल शासक भगवान शिव के बड़े भक्त थे, और उन्होंने अपने शासनकाल में कई मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें से एक यह ककरमठ मंदिर भी है। इस मंदिर को बहुत अच्छे तरीके से बनाया गया है, और इसकी दीवारों पर कई चित्र  बनाये गए हैं। मंदिर के चारों ओर का शांत वातावरण इसे और अधिक खूबसूरत बनाता है। धार्मिक आस्था रखने वाले लोग यहां बड़ी संख्या में आते हैं। महोबा आने पर इस मंदिर की यात्रा जरूर करनी चाहिए, क्योंकि इसकी ऐतिहासिकता और पुरातन महत्व इसे खास बनाते हैं।

  • भगवान शिव को समर्पित 9वीं-10वीं सदी का प्राचीन मंदिर।
  • दीवारों पर शानदार शिल्प और मूर्तिकला।
  • शिवरात्रि पर विशेष आयोजन होते हैं।
  • मंदिर के चारों ओर का वातावरण बेहद शांत और दिव्य है।

यह स्थान धार्मिक रूप से जोधपुर के महामंदिर जितना ही प्रभावशाली अनुभव देता है।

3. सूर्य मंदिर – mahoba m ghumne ki jagah

सूर्य मंदिर महोबा, उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है। भारत में भगवान सूर्य के मंदिर बहुत कम जगहों पर मिलते हैं, और इस मंदिर का अपना  अलग महत्व है। इसका निर्माण चंदेल शासकों द्वारा किया गया था, और महोबा के आसपास के सभी प्राचीन मंदिर भी चंदेल वंश द्वारा बनाए गए थे।

यह मंदिर 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था, और चंदेल राजाओं ने कई प्रमुख मंदिरों का निर्माण कराया है। इस मंदिर में आप सूर्य देवता की पूजा कर सकते हैं। सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में स्थापित सूर्य प्रतिमा पर पड़ती हैं। मंदिर की वास्तुकला बहुत खूबसूरत है,

मंदिर काफी जायदा शांत है, और यहां विशेष रूप से छठ पूजा और संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। यह मंदिर एक पॉपुलर प्लेस है। अगर आप महोबा जाते हैं, तो इस मंदिर में घूमने जरूर जाये ।

  • भारत के गिने-चुने सूर्य मंदिरों में से एक।
  • चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित, 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच।
  • सूर्योदय की किरणें सीधे गर्भगृह तक पहुंचती हैं।
  • छठ और संक्रांति पर विशेष पूजा होती है।

सूर्य मंदिर का स्थापत्य आपको जयपुर के पुरातन स्थलों की याद दिलाएगा।

4. वीर आल्हा की अखाड़ा – mahoba mein ghumne ki jagah

आल्हा ऊदल बुंदेलखंड के प्रमुख योद्धाओं में से एक माने जाते हैं, और आज भी उनकी वीरगाथाएं गाई जाती हैं। आल्हा ऊदल चंदेल वंश के सेनापति थे, और उनका इतिहास 12वीं शताब्दी तक  माना जाता है। वे अपने समय के महान योद्धाओं में से थे। यदि आप उनके युद्ध कौशल के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो यूट्यूब पर उनके बारे में कई वीडियो उपलब्ध हैं, जहां लोगों ने जानकारी शेयर की है।

महोबा में आल्हा का अखाड़ा भी है, जो आल्हा की वीरता की याद दिलाता है। यहां पर घूमने के लिए भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट  आते हैं। अगर आप महोबा जाते हैं, तो आल्हा के अखाड़े को जरूर देखना चाहिए और वहां के इतिहास के बारे में पढ़ना चाहिए। यदि आपने पृथ्वीराज चौहान का नाम सुना है, तो आपको यह जानकर दिलचस्पी होगी कि आल्हा ऊदल की लड़ाई पृथ्वीराज चौहान से भी हुई थी।

  • आल्हा-ऊदल की गाथाएं पूरे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध हैं।
  • अखाड़ा उसी स्थान पर स्थित है जहां आल्हा अभ्यास करते थे।
  • यह स्थल महोबा की वीरता और परंपरा का प्रतीक है।
  • टूरिस्ट यहाँ आकर इतिहास से जुड़ने का अनुभव करते हैं।

5. चन्देल किला – mahoba mai ghumne ki jagah

चंदेल किला महोबा जिले में स्थित एक प्राचीन किला है, जिसे चंदेल राजवंश द्वारा बनवाया गया था। इसका इतिहास प्राचीन काल में महत्वपूर्ण रहा है, और इसका निर्माण 9वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इस किले में कई मंदिर बने हुए हैं, और इसका निर्माण दुर्गा चंदेल के शासनकाल में हुआ, जो अपने समय के एक शक्तिशाली राजा थे।

यह किला पहाड़ी पर बना हुआ है, और इसके चारों ओर सुंदर हरियाली और वृक्ष देखे जा सकते हैं। किले की दीवारें पत्थर से बनी हुई हैं, और इसके अंदर कई कमरे मौजूद हैं। यहां की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है, और आपको यहाँ खंडहर भी देखने को मिलेंगे, जिनका अपना एक अलग इतिहास है।

अगर आप महोबा आते हैं और चंदेल के इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं, तो चंदेल किला जरूर जाना चाहिए।

  • चंदेल वंश द्वारा निर्मित यह किला 9वीं से 12वीं सदी का है।
  • पहाड़ी पर स्थित, किले से चारों ओर हरियाली का दृश्य दिखाई देता है।
  • किले के अंदर मंदिर, बावड़ी और पुराने कक्ष अब भी संरक्षित हैं।
  • इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक अद्भुत अनुभव।

🛣️ कैसे पहुँचे महोबा?

✈️ हवाई मार्ग:

नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो (140 किमी) या कानपुर है। यहां से टैक्सी या बस से महोबा पहुंचा जा सकता है।

🚆 रेलवे मार्ग:

महोबा रेलवे स्टेशन प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। झाँसी, बांदा, कानपुर से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।

🚍 सड़क मार्ग:

बांदा, झाँसी, ललितपुर, कानपुर और दिल्ली से सीधी बस सुविधा मिलती है।


🏨 कहाँ ठहरें?

  • Hotel Shri Krishna Palace
  • Hotel Bundelkhand Mahal
  • Tourist Bungalow (UP Tourism)
  • बजट धर्मशालाएं शहर में उपलब्ध हैं

📅 घूमने का सही समय

मौसम अनुभव
अक्टूबर से मार्च ठंडा और सैर के लिए आदर्श
जुलाई से सितंबर हरियाली और झीलें जीवंत
शिवरात्रि, छठ, दशहरा धार्मिक उत्सवों का आनंद

❓FAQs – महोबा यात्रा से जुड़े प्रश्न

Q. महोबा में कितने दिन रुकना चाहिए?
➡️ 1 से 2 दिन में आप सभी प्रमुख जगह घूम सकते हैं।

Q. क्या महोबा में सूर्य मंदिर है?
➡️ हां, यह भारत के कुछ गिने-चुने सूर्य मंदिरों में से एक है।

Q. महोबा किसके लिए प्रसिद्ध है?
➡️ चंदेलों की वास्तुकला, आल्हा-ऊदल की वीरगाथाएं, और ऐतिहासिक झीलों के लिए।

Q. क्या महोबा बच्चों के साथ घूमने के लिए सही है?
➡️ हां, झील, किला और मंदिर बच्चों के लिए भी शिक्षाप्रद और मनोरंजक हैं।

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