vidisha me ghumne ki jagah > विदिशा, मध्य प्रदेश का एक छोटा और शांत शहर है, जो भोपाल से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप भोपाल घूमने जाते हैं और यात्रा का शौक रखते हैं, तो विदिशा जरूर आ सकते हैं। विदिशा को एक धार्मिक नगरी भी माना जाता है, क्योंकि यह बेतवा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां का एक प्रमुख तीर्थ स्थल “चरण तीर्थ” कहलाता है, जहाँ माना जाता है
कि भगवान राम के चरण इस पवित्र धरती पर पड़े थे, इसलिए इस स्थान का यह नाम पड़ा। विदिशा में आप कई शानदार और ऐतिहासिक स्थानों की सैर कर सकते हैं। अगर आप विदिशा जाने का विचार कर रहे हैं और वहां के प्रमुख मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख के अंत तक बने रहें, क्योंकि हम आपको विदिशा में घूमने योग्य कुछ बेहतरीन जगहों की जानकारी देंगे।
1. बीजामंडल मंदिर (vidisha mai ghumne ki jagah)
वीजा मंडल मंदिर विदिशा का एक पुराना मंदिर है, जहां आपको बेहतरीन भारतीय वास्तुकला की झलक मिलती है। पहले इसे विजय मंदिर के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब लोग इसे वीजा मंडल मंदिर कहते हैं। ये मंदिर करीब 11वीं शताब्दी में प्रमाण वंश के शासकों ने बनवाया था। हालांकि आज ये काफी हद तक खंडहर हो चुका है, लेकिन इसके बचे-खुचे हिस्सों में आपको अलग-अलग तरह की कला देखने को मिलेगी।
इस मंदिर में हिंदू और जैन धर्म दोनों का असर साफ दिखाई देता है। मंदिर के खंभे और मूर्तियां यहां के मुख्य आकर्षण हैं। मजे की बात ये है कि इसी मंदिर की डिज़ाइन से प्रेरणा लेकर भारत का संसद भवन बनाया गया है। अगर आप इस मंदिर को गौर से देखेंगे और फिर संसद भवन को देखेंगे, तो आपको दोनों में काफी समानताएं मिलेंगी।
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- 11वीं शताब्दी में बना यह मंदिर अब खंडहर रूप में है, फिर भी इसकी कला चौंका देती है।
- हिंदू और जैन दोनों धर्मों की स्थापत्य शैली देखने को मिलती है।
- कहा जाता है कि इसी डिज़ाइन से संसद भवन को प्रेरणा मिली।
इस मंदिर का प्रभाव उतना ही भव्य है, जितना जोधपुर का उम्मेद भवन पैलेस।
2. सांची स्तूप ( Vidisha tourist Places in Hindi
विदिशा से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर सांची स्थित है, जिसे यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया है। सांची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 3री शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था, ताकि भगवान बुद्ध के बचे हुए अवशेषों को संरक्षित किया जा सके। यहां आपको कई स्तूप और शिल्पकला के बेहतरीन नमूने देखने को मिलेंगे, जो उस समय की जीवनशैली और बौद्ध धर्म की संस्कृति को समझने में मदद करेंगे।
सांची का मुख्य स्तूप गुंबद के आकार का है, और चारों दिशाओं में इसके सुंदर तोरण द्वार बने हुए हैं। ये द्वार बौद्ध धर्म की कथाओं और भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाओं को दर्शाते हैं। सांची का शांत और प्राकृतिक माहौल आपको एक अलग अनुभव देगा। अगर आप सांची घूमने जाते हैं, तो आपको एंट्री के लिए 50 रुपये का टिकट लेना पड़ेगा।
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- सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया यह बौद्ध स्तूप विदिशा से मात्र 10 किमी दूर है।
- यहां बुद्ध धर्म से जुड़ी नक्काशीदार तोरण द्वार और स्तूप हैं।
- टिकट ₹50 प्रति व्यक्ति | समय: सुबह 9:00 से शाम 5:00 तक
इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह जयपुर के आमेर किले जितना ही रोमांचकारी है।
3. उदयगिरी गुफाएं (Udayagiri Caves)
सांची से सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर उदयगिरि की गुफाएं हैं, जो चौथी से पांचवीं शताब्दी के गुप्त काल में बनाई गई थीं। ये गुफाएं हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं और यहां कुल 20 गुफाएं हैं, जिनमें भगवान विष्णु, शिव और देवी दुर्गा की मूर्तियां स्थापित हैं। इन गुफाओं में सबसे प्रसिद्ध गुफा 5वीं गुफा है, जहां भगवान विष्णु को वराह (सूअर) अवतार में दिखाया गया है, जो समुद्र से पृथ्वी को निकालते हुए प्रदर्शित किए गए हैं। यह प्राचीन भारतीय शिल्पकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जाता है।
इसके अलावा, अन्य गुफाओं में भी आपको कई देवी-देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलेंगी, जो भारतीय धार्मिक परंपराओं और उनकी गहराई को दर्शाती हैं। अगर आप विदिशा जाते हैं, तो उदयगिरि की इन गुफाओं को भी देखना न भूलें, क्योंकि यह एक अद्भुत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है।
- चौथी शताब्दी में गुप्तकाल के दौरान बनीं ये गुफाएं भगवान विष्णु, शिव, दुर्गा आदि को समर्पित हैं।
- यहां की प्रसिद्ध “वराह गुफा” में विष्णु के वराह अवतार की विशाल मूर्ति है।
- गुफाएं कुल 20 हैं, और हर एक गुफा में अलग कला और भक्ति देखने को मिलती है।
4. मालादेवी मंदिर (Maladevi Temple)
माला देवी मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जो अपनी अद्भुत सुंदरता के कारण काफी मशहूर है। इस मंदिर का निर्माण 9वीं से 10वीं शताब्दी के बीच हुआ था, और यह जैन धर्म से जुड़ा हुआ है। मंदिर की वास्तुकला आपको अलग तरह की कला का अनुभव कराएगी, और यहां कई तरह की मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी।
चूंकि मंदिर ऊंचाई पर बना हुआ है, इसलिए यहां से खड़े होकर पूरे क्षेत्र का सुंदर नजारा देखने को मिलता है, जो इस स्थान को और खास बनाता है। मंदिर के पास की गुफाओं में जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां भी रखी गई हैं, जो इस जगह की पवित्रता को और बढ़ाती हैं।
माला देवी मंदिर का शांत माहौल और इसकी प्राकृतिक सुंदरता टूरिस्टों को अपनी ओर आकर्षित करती है। अगर आप विदिशा घूमने जाते हैं, तो इस मंदिर की यात्रा भी जरूर करें, क्योंकि यह आपकी यात्रा को और भी खास बना देगा।
- यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है और 9वीं शताब्दी का है।
- यहां जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां और प्राचीन शैली के शिलालेख मौजूद हैं।
- शांत वातावरण, प्राकृतिक दृश्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम।
5. बेसनगर (Besnagar)
विसनगर, जिसे प्राचीन समय में विदिशा के नाम से जाना जाता था, एक बेहद पुराना शहर है, जिसकी ऐतिहासिक धरोहर 2000 साल पुराने समय की यादें ताजा करती हैं। यहां स्थित विष्णु स्तंभ मुख्य आकर्षण का केंद्र है, जिसे ग्रीक राजदूत हेलिओडोरस ने बनवाया था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। यह स्तंभ भारत और ग्रीस के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का प्रतीक है।
इसके अलावा, विसनगर में कई अन्य प्राचीन संरचनाएं और अवशेष भी देखने को मिलते हैं, जो इस स्थान की प्राचीनता और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करते हैं। अगर आप विदिशा घूमने जाते हैं, तो विसनगर भी जरूर देखें, क्योंकि यह आपको इतिहास से जुड़ने का एक खास अनुभव देगा।
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- प्राचीन काल में यही विदिशा का मूल नाम था।
- यहां का हेलिओडोरस स्तंभ भारत-यूनान सांस्कृतिक संबंध का प्रतीक है।
- यह स्तंभ भगवान विष्णु के एक यूनानी भक्त द्वारा बनवाया गया था।
यह धार्मिक समन्वय पांडिचेरी की फ्रेंच-तमिल संस्कृति जैसा अनुभव देता है।
6. ग्यारसपुर (Gyaraspur)
ग्यारसपुर, विदिशा से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जहां कई प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। यह स्थान 9वीं से 10वीं शताब्दी के पैडमैन राजवंश के समय का है और यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर मौजूद हैं।
ग्यारसपुर का प्रमुख आकर्षण माला देवी मंदिर है, जिसकी वास्तुकला बहुत ही सुंदर है। यहां की मूर्तियां जैन तीर्थंकरों के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं। इसके अलावा, यहां का हनुमान मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति स्थापित है।
ग्यारसपुर का शांत वातावरण और इसकी पवित्रता इसे विदिशा के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक बनाते हैं। अगर आप विदिशा की यात्रा कर रहे हैं, तो ग्यारसपुर जाना न भूलें, क्योंकि यह एक अनोखा अनुभव प्रदान करेगा।
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- यह स्थल विदिशा से लगभग 35 किमी दूर है।
- माला देवी मंदिर, भगवान हनुमान का विशाल मंदिर और कई जैन मंदिर यहां आकर्षण हैं।
- प्राचीन मंदिरों की मूर्तियां और वास्तुकला इसकी प्रमुख विशेषता हैं।
🛣️ कैसे पहुंचें विदिशा?
✈️ हवाई मार्ग:
निकटतम एयरपोर्ट राजा भोज एयरपोर्ट, भोपाल है, जो लगभग 55 किमी दूर है।
🚆 रेल मार्ग:
विदिशा रेलवे स्टेशन प्रमुख स्टॉप है, जहां भोपाल और दिल्ली की ट्रेनें आसानी से मिलती हैं।
🚗 सड़क मार्ग:
भोपाल से विदिशा NH-146 के ज़रिए 1.5 घंटे में पहुंच सकते हैं।
🏨 ठहरने की सुविधाएं
- Hotel Shree Palace (बजट फ्रेंडली)
- Gateway Retreat by MP Tourism (मिड-रेंज)
- Hotel Sambodhi Retreat, Sanchi – सांची से विदिशा नजदीक है।
📅 घूमने का सही समय
मौसम अनुभव अक्टूबर – मार्च सबसे अनुकूल, मौसम ठंडा और सुखद रहता है अप्रैल – जून गर्मी अधिक, दिन में घूमना कठिन हो सकता है जुलाई – सितंबर हरियाली भरपूर, बारिश से दृश्य और सुंदर हो जाते हैं
❓FAQs – विदिशा यात्रा से जुड़े सवाल
Q. विदिशा में क्या 1 दिन में घूम सकते हैं?
✅ हां, आप बीजा मंडल, सांची और उदयगिरी गुफाएं एक दिन में कवर कर सकते हैं।Q. विदिशा किस चीज़ के लिए प्रसिद्ध है?
✅ बीजा मंडल, सांची स्तूप, उदयगिरी गुफाएं और जैन मंदिरों के लिए।Q. विदिशा से नजदीकी प्रमुख स्थल कौन-कौन से हैं?
✅ भोपाल, ग्वालियर, जयपुर, [सांची] आदि।Q. क्या विदिशा धार्मिक स्थल है?
✅ हां, यहां जैन, बौद्ध और हिंदू धर्म से जुड़े कई स्थल हैं।
vidisha me ghumne ki jagah final word
दोस्तों, हमने इस article में vidisha me ghumne ki jagah के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। अगर आपको हमारा लिखा हुआ आर्टिकल पसंद आया है और आप समझ गए हैं कि विदिशा में कौन-कौन सी जगहें घूमने के लिए बेहतरीन हैं, तो आप इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। आपके द्वारा साझा की गई जानकारी से और लोगों को भी विदिशा की खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
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